पुरी में श्रद्धा की राह पर नंगे पांव चले गौतम अडानी, जगन्नाथ रथयात्रा में दिखी सेवा और संकल्प की अद्भुत मिसाल
जहां एक ओर समुद्र की लहरें शांत हैं, वहीं पुरी की पवित्र धरती पर “जय जगन्नाथ” के जयघोष से आसमान गूंज रहा है। यही है भगवान जगन्नाथ की सलाना रथयात्रा, जो न सिर्फ आस्था का उत्सव है, बल्कि भारत की आध्यात्मिक धरोहर की जीवंत मिसाल भी है। इस बार यह यात्रा कुछ खास रही, क्योंकि इसमें शामिल हुए देश के प्रमुख उद्योगपति और अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी परंतु एक कारोबारी के रूप में नहीं, बल्कि एक नंगे पांव चलने वाले विनम्र श्रद्धालु के रूप में।

भीड़ में एक सेवक की तरह नज़र आये गौतम अडानी
28 जून को, रथयात्रा के दूसरे दिन, जब लाखों श्रद्धालु पुरी के ग्रांड रोड (बड़ा डांडा) पर उमड़े, वहीं गौतम अडानी भी पारंपरिक वेशभूषा पहने, नंगे पांव हाथ जोड़े खड़े थे। उन्होंने न तो किसी वीआईपी की तरह प्रवेश किया, न कोई बड़ा ऐलान किया। वे आए, चुपचाप चक्रधारी प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ को खींचने के लिए। उनके लिए यह सिर्फ भक्ति नहीं थी, यह “सेवा ही साधना है” का जीवंत रूप था।

उद्योग से अध्यात्म तक: सेवा की निरंतरता
गौतम अडानी की यह आध्यात्मिक सेवा कोई पहला उदाहरण नहीं है। इससे पहले भी प्रयागराज में महाकुंभ 2024 के दौरान उन्होंने अडानी फाउंडेशन के माध्यम से विशाल पैमाने पर तीर्थयात्रियों के लिए भोजन, स्वास्थ्य और सफाई सेवाएं संचालित करवाई थीं। 21 जनवरी को खुद अडानी कुंभ मेले में सेवा के लिए पहुंचे थे। पुरी की रथयात्रा में यह सेवा और गहरी हो गई। उन्होंने न केवल रस्सी खींची, बल्कि स्थानीय प्रशासन, दैतापति पुजारियों और स्वयंसेवकों के साथ मिलकर रथ यात्रा की व्यवस्थाओं में सहयोग किया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि यह सेवा किसी फोटो-ऑप या ब्रांडिंग के लिए नहीं, बल्कि एक आंतरिक आध्यात्मिक आह्वान के लिए की गई थी।
करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए संबल बनी अडानी फाउंडेशन
इस बार अडानी फाउंडेशन ने जो सेवा कार्य किए, वे किसी एक पहल तक सीमित नहीं थे। पूरी रथयात्रा के दौरान फाउंडेशन की टीम ने जो सहयोग दिया, वह एक समर्पित तंत्र की तरह काम कर रहा था। 4 मिलियन भोजन और पेय पदार्थ श्रद्धालुओं को निःशुल्क वितरित किए गए। पुरी के अलग-अलग हिस्सों में पेयजल वितरण केंद्र, जहां ठंडा पेय मुफ्त में उपलब्ध कराया गया। स्वयंसेवकों को मुफ्त टी-शर्ट, नगर पालिका कर्मियों को फ्लोरोसेंट सुरक्षा जैकेट। बारिश से बचाव के लिए रेनकोट, छतरी, कैप और जैकेट्स श्रद्धालुओं और प्रशासन को वितरित किए गए। पुरी बीच लाइफगार्ड महासंघ को मदद, ताकि समुद्र किनारे सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। विशेष प्लास्टिक कचरा सफाई अभियान में स्वयंसेवकों की मदद से बीच क्लीन-अप। यह सेवा कार्य पुरी जिला प्रशासन, इस्कॉन , और स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों के सहयोग से किया गया।

ओडिशा में चल रहे अडानी फाउंडेशन के स्थायी प्रयास
पुरी की सेवा रथयात्रा तक सीमित नहीं है। अडानी फाउंडेशन ओडिशा के ग्रामीण और जनजातीय इलाकों में वर्षों से सक्रिय है। अडानी सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचे और पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार कर रही है । अडानी ग्रामीण छात्रों के लिए डिजिटल लर्निंग टूल्स, छात्रवृत्तियां और रेमेडियल क्लासेस चला रही है। मोबाइल हेल्थ यूनिट्स के जरिए दूरदराज के गांवों में बुनियादी चिकित्सा सुविधाओं के साथ महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष स्वास्थ्य शिविर भी चलाया जा रहा है। रोजगार और कौशल विकास के लिए अडानी महिलाओं और युवाओं के लिए सिलाई, मत्स्य पालन और कृषि आधारित प्रशिक्षण दे रही है। इसके साथ ही स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन देकर महिलाओं की आमदनी बढ़ा रही है। सामुदायिक आधारभूत ढांचा के लिए भी अडानी काम कर रही है। शौचालय निर्माण, सोलर स्ट्रीट लाइट और स्वच्छ जल आपूर्ति भी अडानी द्वारा किया जा रहा है। ओडिशा हमेशा से आपदा पीड़ित रहा है ऐसे में आपदा प्रबंधन जैसे चक्रवात आपदाओं के दौरान राहत सामग्री, आश्रय और पुनर्वास पर भी अडानी काम कर रही है।
गौतम अडानी ने दिया एक शांत नेतृत्व का संदेश
पुरी की रथयात्रा में गौतम अडानी की उपस्थिति, उनके नंगे पांव चलना, भीड़ के बीच एक साधारण श्रद्धालु बन जाना यह सब कुछ एक ऐसे नेतृत्व की तस्वीर पेश करता है जो दिखावे की बजाय आत्मा की आवाज़ पर चलता है। उन्होंने यह दिखाया कि “लीडरशिप” सिर्फ लक्ष्य पाने की कला नहीं, बल्कि जमीनी जुड़ाव की साधना भी है। जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ भक्तों की भक्ति की लहर पर आगे बढ़ते हैं, तब उनके पीछे-पीछे एक उद्योगपति नंगे पांव चलता है। रस्सी खींचते हुए नहीं, बल्कि मन को समर्पित करते हुए। यही भारत की असली शक्ति है जहां सेवा, समर्पण और संकल्प मिलकर भक्ति और विकास का ऐसा संगम रचते हैं, जो युगों तक प्रेरणा देता है।
