गौतम अदाणी ने आईआईटी खड़कपुर से किया भारत के
‘दूसरे स्वतंत्रता संग्राम’ का आह्वान
नए ज़माने के युद्धों की दी चेतावनी, जो बंदूकों या खाइयों में नहीं, बल्कि डेटा, एल्गोरिदम और सर्वर से लड़े जाएंगे।
कहा कि सच्ची आज़ादी आत्मनिर्भरता में है, विदेशी सेमीकंडक्टरों या ऊर्जा पर निर्भरता में नहीं
गौतम अदाणी ने आईआईटी खड़गपुर की हीरक जयंती समारोह के मौके पर की बड़ी फैलोशिप की घोषणा
खड़गपुर, 18 अगस्त 2025
अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी ने सोमवार को भारत को “दूसरे स्वतंत्रता संग्राम” की शुरुआत करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह संग्राम औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ नहीं, बल्कि विदेशी तकनीक, ऊर्जा और डेटा प्रणालियों पर निर्भरता के खिलाफ लड़ा जाएगा। उन्होंने यह बात आईआईटी खड़गपुर के हीरक जयंती समारोह के मौके पर कही।
अब युद्ध खाइयों में नहीं सर्वर फार्म में लड़े जाते हैं
गौतम अदाणी ने यह बात आईआईटी खड़गपुर के हीरक जयंती समारोह में बोलते हुए कही। गौतम अदाणी ने कहा कि भारत ने भले ही 1947 में राजनीतिक बंधनों की बेड़ियाँ तोड़ दी थीं, लेकिन 2025 में भी आयातित सेमीकंडक्टर, ऊर्जा और सैन्य प्रणालियों पर निर्भरता के कारण यह बाहरी शक्तियों के सामने असुरक्षित बना रहेगा। अदाणी ने शिक्षकों, छात्रों और गणमान्य व्यक्तियों से खचाखच भरे सभागार में कहा, “आज हमें जो युद्ध लड़ने हैं, वे अक्सर अदृश्य होते हैं। ये युद्ध सर्वर फ़ार्म में लड़े जाते हैं, खाइयों में नहीं। ये हथियार एल्गोरिदम हैं, बंदूकें नहीं। ये साम्राज्य ज़मीन पर नहीं, बल्कि डेटा सेंटरों में बनते हैं।”
आईआईटी छात्रों को “भारत के नए स्वतंत्रता सेनानी” बताते हुए, गौतम अदाणी ने कहा कि उनके हथियार विचार और इनोवेशन हैं। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वह राष्ट्र निर्माण का मार्ग चुनें। उन्होंने कहा, “एक रास्ता आपको वेतन तक ले जाती है। दूसरा आपको विरासत तक ले जाता है और सिर्फ एक रास्ता है जो भारत निर्माण के गौरव की राह दिखाता है। उन्होंने 16 साल की उम्र में घर छोड़कर मुंबई जाने के सफर से लेकर भारत के सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी समूह के निर्माण के अपने सफर का उदाहरण भी दिया।
दिया सफल बिजनेसमैन बनने का मंत्र
इस मौके पर गौतम अदाणी ने छात्रों के साथ सफल बिजनेसमैन बनने के मंत्र भी साझा किए। उन्होंने कहा कि अपनी जीवन यात्रा में उन्हें एक गहरी बात का एहसास हुआ है कि अच्छा बिजनेसमैन वही बन सकता है जो सचमुच स्वतंत्र विचारों वाला हो और उसमें जोखिम उठाने, तेज़ी से निर्णय लेने और नुकसान के साथ सहज रहने की क्षमता हो।
उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेक्टर की कोई भी कंपनी तभी अपनी तरक्की का मुकाम हासिल कर सकती है जब वह किसी दूरदर्शी सरकार की नीतियों के साथ कदम से कदम मिलाकर चले। और पिछले एक दशक में, इस आपसी विश्वास, भारत की क्षमता में सरकार के विश्वास और सरकारी नीतियों में मेरे विश्वास ने हमें उस गति से आगे बढ़ने का रास्ता दिया जिसने हमें भारत की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी बना दिया है।
छात्रों के लिए नई फैलोशिप की घोषणा
इस मौके पर गौतम अदाणी ने आईआईटी प्लैटिनम जुबली चेंज मेकर्स फ़ेलोशिप की शुरुआत की घोषणा भी की। इसे सभी आईआईटी संस्थानों में शुरू किया जाएगा और आईआईटी खड़गपुर द्वारा समन्वित किया जाएगा, ताकि राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से जुड़ी परियोजनाओं में शीर्ष प्रतिभाओं को शामिल किया जा सके। इस फेलोशिप के तहत देश की शीर्ष प्रतिभाओं को रिन्यूएबल एनर्जी, लॉजिस्टिक्स और स्मार्ट मोबिलिटी से जुड़ी राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उद्योग और शिक्षा जगत के बीच साझेदारी की नए सिरे से कल्पना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को अनुसंधान की सीमाओं को आगे बढ़ाने में कॉर्पोरेट्स को आगे आना होगा। दोनों को मिलकर न केवल बाज़ारों में, बल्कि अपने समाज के ताने-बाने में भी प्रभाव डालना होगा।
अदाणी ने अपने भाषण का समापन राष्ट्रीय संकल्प के साथ किया। उन्होंने छात्रों से कहा कि “इतना मज़बूत बनो कि कोई भी डर हमें जकड़ न सके। इतना ऊंचा उठो कि कोई भी साम्राज्य हमें झुका न सके। इतना ऊंचा उठो कि कोई भी ताकत हमें रोक न सके। हमारा भारत तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है।”
