हर्षोल्लाह के साथ रिम झिम बारिस के बावेजूद ईद उल मिलादुन नबी गोड्डा में मनाया गया जुलुस में गुलजारबाग असनबनी, चपरासी मोहल्ला, रौशनबाग, फासिया डंगाल आदि जगहों से हजारों की संख्या में लोगों ने सिरकत किया जुलुस की रहनुमाई गोड्डा जामा मस्जिद के इमाम कर रहे थे ईद मिलाद-उन-नबी 2024 | क्यों मनाई जाती है ईद-मिलाद-उन नबी का त्योहार |जाने पैगंंबर मोहम्मद साहब के उपदेश ईद मिलाद-उन-नबी 2024 | ईद मिलाद-उन-नबी, जिसे ‘मौलिद-उन-नबी’ भी कहा जाता है, इस्लाम धर्म में पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रबी अल-अव्वल महीने की 12 तारीख को मनाया जाता है। हजरत मुहम्मद साहब का जन्म मक्का में 570 ईस्वी में हुआ था, और उनका जीवन मानवता के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में जाना जाता है। ईद मिलाद-उन-नबी का पर्व मुस्लिम समाज में विशेष महत्त्व रखता है, क्योंकि इस दिन पैगंबर के जीवन और उनके संदेश को याद किया जाता है।
हजरत मुहम्मद साहब का जीवन और संदेश
पैगंबर मुहम्मद साहब ने इस्लाम धर्म की नींव रखी और अल्लाह का संदेश मानवता तक पहुँचाया। उनका जीवन एक आदर्श जीवन था, जिसमें वे सत्य, ईमानदारी, और दया के प्रतीक बने। उन्होंने समाज में फैली बुराइयों का विरोध किया और लोगों को एकता, भाईचारा, और इंसानियत का संदेश दिया। उनका उद्देश्य एक ऐसा समाज बनाना था, जहाँ लोग आपस में मिल-जुलकर रहें और अल्लाह की इबादत करें।
हजरत मुहम्मद साहब ने इंसानियत को सही मार्ग दिखाने के लिए कुरान शरीफ का संदेश दिया, जो आज भी इस्लाम धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। उन्होंने जीवन में ईमानदारी, नैतिकता, और समाज के प्रति सेवा को प्राथमिकता दी। पैगंबर ने बताया कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में सच्चाई, करुणा, और परोपकार का पालन करना चाहिए।
ईद मिलाद-उन-नबी का इतिहास
ईद मिलाद-उन-नबी की परंपरा का आरंभ पैगंबर के निधन के बाद शुरू हुआ। यह पर्व इस्लामिक इतिहास में धीरे-धीरे मान्यता प्राप्त करता गया और विभिन्न इस्लामी समुदायों ने इसे अपने तरीके से मनाना शुरू किया। हालांकि, ईद मिलाद-उन-नबी को मनाने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य पैगंबर के जीवन और उनके उपदेशों को याद करना है।
इस अवसर पर मस्जिदों में विशेष नमाज़ें पढ़ी जाती हैं, और पैगंबर के सम्मान में नात-ए-शरीफ, जो कि पैगंबर की प्रशंसा में रचित होती हैं, गाई जाती हैं। इसके अलावा, पैगंबर के जीवन पर व्याख्यान दिए जाते हैं, जिसमें उनके संघर्ष, उनकी शिक्षाएँ और उनकी सेवाओं पर चर्चा होती है। यह दिन पैगंबर के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण समय होता है, जब वे उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं और उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं।
पर्व का महत्व
ईद मिलाद-उन-नबी न केवल पैगंबर के जन्म का उत्सव है, बल्कि यह इस्लामिक समाज के लिए एक अवसर है जब वे पैगंबर की शिक्षाओं और उनके संदेश को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करते हैं। इस दिन की विशेषता यह है कि यह हमें इस बात की याद दिलाता है कि हजरत मुहम्मद साहब का जीवन एक उदाहरण है, जिसे हम अपने दैनिक जीवन में अपना सकते हैं।
इस अवसर पर मुसलमानों को विशेष रूप से दान-पुण्य, गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने का अवसर मिलता है। पैगंबर मुहम्मद साहब ने अपने जीवन में हमेशा दूसरों की सहायता और समाज के कमजोर वर्गों की भलाई का संदेश दिया। ईद मिलाद-उन-नबी के दिन लोग उनके इस संदेश को अपने जीवन में लागू करने का प्रयास करते हैं और समाज में शांति, भाईचारा और समानता की भावना को मजबूत करते हैं।
पर्व मनाने की विधियाँ ईद मिलाद-उन-नबी के अवसर पर दुनियाभर में विभिन्न इस्लामी समुदाय इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन की शुरुआत सुबह की विशेष नमाज़ से होती है। मस्जिदों में पैगंबर के जीवन पर आधारित विशेष प्रवचन आयोजित किए जाते हैं। नात-ए-शरीफ गाकर पैगंबर की प्रशंसा की जाती है और उनके उपदेशों को लोगों के सामने रखा जाता है।
इसके अलावा, कुछ स्थानों पर जुलूस भी निकाले जाते हैं, जिसमें लोग इस्लामिक झंडे लेकर सड़कों पर निकलते हैं और पैगंबर के प्रति अपने सम्मान को व्यक्त करते हैं। इन जुलूसों में धार्मिक गीत गाए जाते हैं और लोगों को पैगंबर के जीवन और उनके संदेश के प्रति जागरूक किया जाता है।
इस अवसर पर विशेष रूप से दान-पुण्य करने की परंपरा भी है। मुसलमान इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते हैं, उन्हें भोजन, कपड़े, और अन्य आवश्यक वस्तुएं प्रदान करते हैं। यह पर्व इस्लामिक समाज के लिए सामाजिक सेवा और भाईचारे की भावना को प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है।
ईद मिलाद-उन-नबी का संदेश
ईद मिलाद-उन-नबी का सबसे बड़ा संदेश है इंसानियत, करुणा, और आपसी सद्भावना। हजरत मुहम्मद साहब का जीवन हमें सिखाता है कि चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, हमें हमेशा सच्चाई और न्याय के रास्ते पर चलना चाहिए। उन्होंने समाज में प्रेम, सहानुभूति, और सहयोग की भावना को फैलाया। उनके संदेश का महत्व आज के दौर में और भी अधिक है, जब दुनिया में भेदभाव, हिंसा, और असमानता जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं।
इस पर्व के माध्यम से मुसलमान पैगंबर की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं। वे अपने आसपास के लोगों के साथ मिल-जुलकर रहते हैं, उन्हें मदद करते हैं और समाज में शांति और सद्भावना का माहौल बनाते हैं। पैगंबर मुहम्मद साहब ने अपने जीवन में हर व्यक्ति के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया, और ईद मिलाद-उन-नबी उनके इसी संदेश को याद करने का दिन है।
निष्कर्ष
ईद मिलाद-उन-नबी एक महत्वपूर्ण इस्लामी पर्व है, जो हजरत मुहम्मद साहब के जीवन और उनके संदेश को समर्पित है। इस दिन मुसलमान उनके जन्म का जश्न मनाते हैं, उनकी शिक्षाओं को याद करते हैं और समाज में शांति, भाईचारे और दया का संदेश फैलाते हैं। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि हमें अपने जीवन में पैगंबर के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए और समाज के कमजोर वर्गों की सेवा करनी चाहिए।