गोपाल शर्मा
झारखंड/ पाकुड़
भारी बारिश ने नगर नवी पंचायत के नवीनगर गांव (बागड़ी पाड़ा) में एक गरीब विधवा महिला का आशियाना छीन लिया। पति का साया 10 साल पहले ही उठ चुका था, और तब से यह महिला अपने छह छोटे बच्चों के साथ कभी काम करके, तो कभी आसपास के घरों से भीख मांगकर जीवनयापन कर रही थी। बारिश की उस काली रात में उनका मिट्टी का घर पूरी तरह ढह गया। चारों ओर टूटी दीवारें, गिरी छत और बिखरी उम्मीदें ही रह गईं।

लेकिन कहते हैं कि अंधेरे के बाद ही उजाला आता है। घटना की जानकारी मिलते ही पूर्व एनडीए प्रत्याशी सह समाजसेवी अजहर इस्लाम स्वयं मौके पर पहुंचे। उन्होंने न सिर्फ हालात का जायजा लिया, बल्कि उसी दिन तत्काल राहत के तौर पर दो महीने का राशन भी उपलब्ध कराया। यही नहीं, उन्होंने वहीं खड़े होकर संकल्प लिया कि “इस मां और उसके बच्चों के लिए एक पक्का, सुरक्षित घर बनवाना मेरी जिम्मेदारी है।”

संकल्प से हकीकत तक का सफर
आज, महज कुछ ही समय में वह वादा पूरा हो चुका है। टूटे सपनों के बीच अब उस परिवार के सिर पर मजबूत छत खड़ी है। ईंट और पत्थर से बना यह नया घर न सिर्फ बारिश-धूप से बचाव देगा, बल्कि बच्चों के लिए पढ़ाई और जीवन संवारने का आधार भी बनेगा।
❝ यह सिर्फ एक घर नहीं, बल्कि इंसानियत और भरोसे की नींव पर खड़ा मकान है। न कोई दिखावा, न कोई प्रचार—बस एक इंसान का फर्ज, जो एक इंसान के लिए निभाया गया। ❞ अजहर इस्लाम, पूर्व एनडीए प्रत्याशी सह समाजसेवी
गांव में मिसाल बनी यह पहल
नवीनगर गांव में यह घटना अब इंसानियत की मिसाल बन चुकी है। स्थानीय लोग कहते हैं कि जब सरकारी मदद के इंतजार में महीने बीत जाते हैं, तब किसी का निजी तौर पर इस तरह आगे आना समाज के लिए प्रेरणा है। अब वह विधवा और उसके बच्चे न सिर्फ सुरक्षित हैं, बल्कि जीवन में नई उम्मीद के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार भी।