राँची, संवाददाता।
झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में एक हाई लेवल बैठक की, जिसमें पेसा कानून (PESA Act) और इसकी नियमावली के विभिन्न प्रावधानों पर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि पेसा नियमावली का क्रियान्वयन इस प्रकार हो कि अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं की परंपरागत स्वशासन व्यवस्था और अधिक सशक्त हो तथा आदिवासी समाज का आर्थिक और सामाजिक उत्थान सुनिश्चित किया जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि “पेसा कानून केवल कागजी दस्तावेज बनकर न रह जाये, बल्कि इसे धरातल पर उतारा जाए। ग्राम सभाओं को वास्तविक अधिकार और शक्तियां मिलें।’’ उन्होंने अधिकारियों से कहा कि ग्राम सभाओं की भूमिका को प्राथमिकता दी जाए और निर्णय प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाए।

वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति
बैठक में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, प्रधान सचिव वंदना दादेल, प्रधान सचिव एम.आर. मीणा, विधि विभाग के प्रधान सचिव नीरज कुमार श्रीवास्तव, सचिव प्रशांत कुमार, सचिव अमिताभ कौशल, सचिव कृपानंद झा, सचिव के. श्रीनिवासन, सचिव मनोज कुमार, सचिव चंद्रशेखर, सचिव अरवा राजकमल, पंचायती राज निदेशक राजेश्वरी बी., निदेशक खान राहुल सिन्हा, पीसीसीएफ अशोक कुमार, वन संरक्षक पी.आर. नायडू, डीएफओ दिलीप कुमार, विशेष सचिव प्रदीप कुमार हजारी और संयुक्त सचिव रवि शंकर विद्यार्थी समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
ग्राम सभाओं को मिलेगी मजबूती
बैठक के दौरान यह तय किया गया कि पेसा कानून की सभी धाराओं और नियमों को जमीनी स्तर पर लागू किया जाएगा। ग्राम सभाओं को भूमि, जल, वन तथा खनिज संसाधनों के उपयोग पर विशेष अधिकार दिया जाएगा ताकि स्थानीय समुदाय अपनी परंपरागत व्यवस्था को बनाए रखते हुए विकास की मुख्यधारा से जुड़ सकें।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि आदिवासी समाज की भागीदारी को प्राथमिकता दी जाए और उन्हें निर्णय प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनाया जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ग्राम सभाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत किए बिना सतत विकास संभव नहीं है।
सरकार की प्रतिबद्धता
झारखंड सरकार पेसा नियमावली को राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में पूरी गंभीरता और पारदर्शिता के साथ लागू करने को लेकर प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री का यह कदम आदिवासी समाज को सशक्त करने और ग्रामीण स्वशासन को नई दिशा देने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।