जिंदगी का यही फलसफा है :
एक तरफ भाई ज़ुल्म के ख़िलाफ़ इंसाफ की लड़ाई लड़ने के खातिर जेल में तो दूसरी तरफ बहन ज़ुल्म के ख़िलाफ़ इंसाफ देने खातिर अब जज की कुर्सी पर बैठेंगी।
छोटी बहन फरहा निशात 32वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में उत्तीर्ण हो कर आज भाई को फ़क्र करने का मौक़ा दिया है। और मुझे उम्मीद है कि अपने कार्यकाल में तुम अपने फैसलों से किसी बेगुनाह के साथ ज़ुल्म नहीं होने दोगी। अल्लाह तुम्हें हिम्मत और ताक़त दें।
✍️✍️ Muzammil Imam