संस्कृति संरक्षण, शिक्षा उन्नयन और प्रकृति संतुलन पर सरकार की अटूट प्रतिबद्धता:- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन
रांची।
कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय परिसर में आज देश के विभिन्न राज्यों से आए आदिवासी प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिनिधियों का हार्दिक स्वागत किया। इस दौरान प्रतिनिधियों ने एक स्वर में कहा कि देशभर में आदिवासी समाज जिन चुनौतियों और संघर्षों का सामना कर रहा है, उन्हें नई दिशा देने के लिए श्री हेमन्त सोरेन आगे बढ़कर नेतृत्व करें।

“आदिवासी अस्मिता की जड़ें झारखंड की मिट्टी में सदियों से मजबूत रही हैं” — मुख्यमंत्री
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि झारखंड की धरती वीरता, संघर्ष और स्वाभिमान का प्रतीक रही है। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा, दिशोम गुरु शिबू सोरेन सहित अनेक वीरों के संघर्ष ने आदिवासी अस्मिता को नई ऊर्जा और दिशा दी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज मानव सभ्यता के निर्माण, संरक्षण और प्रकृति संतुलन का आधार रहा है। लेकिन वर्तमान समय में समाज को नई एकजुटता, जागरूकता और संगठित प्रयासों की आवश्यकता है।

शिक्षा, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा हमारा संकल्प: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड सरकार आदिवासी समाज की संस्कृति, पहचान और अधिकारों की रक्षा के लिए गम्भीरता से कार्य कर रही है।
उन्होंने बताया कि—
- झारखंड देश का पहला राज्य बन चुका है जहाँ आदिवासी विद्यार्थियों को सरकारी खर्च पर विदेश में उच्च शिक्षा का अवसर प्रदान किया जा रहा है।
- सरकार समाज की सामाजिक, बौद्धिक और शैक्षणिक प्रगति के लिए लगातार योजनाएँ लागू कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा,
“आदिवासी समाज में नई रोशनी जगी है। इसे और प्रखर करने के लिए मिलकर प्रयास करना होगा। सरकार हर कदम पर आपके साथ खड़ी है।”

प्रकृति संरक्षण आदिवासी पहचान की मूल आत्मा — हेमन्त सोरेन
सीएम ने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति का उपासक है और पर्यावरण संरक्षण उसकी जीवनशैली का अभिन्न अंग है।
उन्होंने चेताया कि आधुनिक हस्तक्षेपों और प्रकृति से छेड़छाड़ के कारण आज बाढ़, सुखाड़, भूस्खलन जैसी आपदाएँ बढ़ रही हैं।
“प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।”

एकजुटता, आत्मनिर्भरता और अधिकारों के लिए राज्य सरकार की सक्रिय भूमिका
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने आदिवासी समाज को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए एकजुटता और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया।
उन्होंने घोषणा की कि आने वाले समय में वे स्वयं देश के विभिन्न राज्यों में जाकर व्यापक जनसंपर्क अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाएँगे ताकि—
- आदिवासी समाज की समस्याएँ राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक एजेंडा बन सकें,
- समाज की आवाज मुख्यधारा में और अधिक प्रभावी हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा,
“हमें यह साबित करना होगा कि हम बिखरे नहीं, बल्कि एक समुदाय, एक शक्ति हैं और भविष्य के केंद्र में अपनी जगह बनानी है।”

देशभर से आए प्रतिनिधियों ने झारखंड मॉडल की सराहना की
गुजरात, महाराष्ट्र, असम, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मणिपुर सहित विभिन्न राज्यों के आदिवासी प्रतिनिधियों ने झारखंड सरकार के प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि झारखंड की पहलें देशभर के आदिवासी समाज में नई ऊर्जा का संचार कर रही हैं।
प्रतिनिधियों ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के संघर्षपूर्ण जीवन और योगदान को याद करते हुए उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि भी अर्पित की।

कार्यक्रम में शामिल रहे प्रमुख जनप्रतिनिधि
इस अवसर पर मंत्री दीपक बिरुआ, मंत्री चमरा लिंडा, विधायक श्रीमती कल्पना सोरेन, अशोक चौधरी सहित सैकड़ों की संख्या में विभिन्न राज्यों के आदिवासी प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
