ठाकुर गंगटी(गोड्डा)प्रखंड क्षेत्र में शुक्रवार,शनिवार को तेज वर्षा होने के बाद रविवार से प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों के बिहियार के खेतों में धनरोपनी का कार्य प्रारंभ हो गया।धन रोपनी कार्य प्रारंभ होने से किसानों,मजदूरों में काफी खुशहाली देखी जा रही है।क्योंकि इस बार काफी विलंब से वर्षा हुई है।ऐसे वर्षा तो 10 दिनों पूर्व से हो रही है।लेकिन हल्की और साधारण दर्जे की वर्षा होती थी।हल्के रूप से वर्षा होने के कारण किसानों के खेतों का धान का बिचड़ा भी नहीं बढ़ पाया है।जिससे कि धान रोपनी कार्य करने में किसानों को थोड़ी परेशानी हो रही है और विलंब भी हो रहा है। लेकिन अब जब खेतों में पानी भर गया है तो धीरे-धीरे किसान धनरोपनी कार्य में लग गए हैं।कई किसान विभिन्न माध्यमों से उर्वरक वगैरह डालकर बिचड़े को तेजी से बढ़ाने में लगे हैं।कई किसान मेड़बंदी करने में लगे हैं। कई किसान हल बैल व ट्रैक्टर के माध्यम से अपने खेतों को दो-चार बार जोताई करवा रहे हैं।ताकि धनरोपनी के लिए मिट्टी हल्का हो सके।और खेतों का घास उर्वरक के रूप में धान के पौधे का सहयोगी बन सके।रविवार को कई खेतों में किसानों द्वारा धान का बिचड़ा उखाड़ने का काम सुचारू रूप से शुरू किया गया ताकि मंगलवार बुधवार से धन रोपनी का कार्य शुरू किया जा सके।किसानों ने कहा कि थोड़ा विलंब जरूर हो गया है लेकिन अब अगर बीच-बीच में सप्ताह 10 दिनों में वर्षा होती रही तो फिर निश्चित रूप से पिछले वर्षों की तरह ही धान की उपज अच्छे ढंग से हो पाएगा।और अगर वर्षा की कमी हुई तो फिर धान के उपज में कमी भी आ सकती है। क्योंकि धान का फसल मुख्यतः वर्षा पर ही आधारित रहता है। क्योंकि धान के पौधे को हमेशा पानी चाहिए।धन रोपनी कार्य के एक सप्ताह बाद से ही धान के पौधे को खेतों में कम से कम 15 से 30 इंच पानी की आवश्यकता होती है।तब धान का पौधा वृहत रूप से तेजी से आगे बढ़ पाता है और उन्हें अच्छा पोषण मिल पाता है। किसानों ने बताया कि उनके सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस बार मनरेगा योजना के तहत मेड़बंदी का काम नहीं कराया जा पा रहा है।जिसके चलते की किसानों को अपने जेब के पैसे से मजबूरन मेड़बंदी करना पड़ रहा है। इस प्रकार इस बार मेड़बंदी योजना नहीं चलाई जाने से किसानों को यह बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। दर्जनों किसानों ने बताया कि मेड़बंदी योजना के तहत कुछ भुगतान मिलने से किसानों को बहुत कुछ राहत मिल पाता था किसानों ने प्रशासनिक अधिकारियों , जनप्रतिनिधियों और वर्तमान झारखंड सरकार से मनरेगा योजना के तहत मेड़बंदी का काम करवाने का आदेश निकालने का मांग किया है।ताकि किसानों के खेतों की मेड़बंदी हो सके और उन्हें विगत वर्षों की तरह कुछ राहत मिल सके।
