बेस्ड औद्योगिक अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित किया जाए, जिससे स्थानीय उद्योग बढ़ेंगे, निवेश आएगा और लाखों लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।


ऊर्जा क्षेत्र में झारखंड की उपेक्षा क्यों?
झारखंड भारत की ऊर्जा राजधानी बनने की क्षमता रखता है, लेकिन इस क्षेत्र को भी सरकार ने नजरअंदाज किया है:
- थर्मल पावर प्लांट्स के विस्तार के लिए बजट में कोई ठोस योजना नहीं।
- राज्य को अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर बनाया जाना चाहिए।
- नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए कोई स्पष्ट नीति नहीं।
निष्कर्ष: यह बजट झारखंड के साथ अन्याय है!
मोदी सरकार का यह बजट दिखाता है कि झारखंड की जनता उनके लिए कोई प्राथमिकता नहीं रखती। चुनावी वादों के दौरान यह सरकार पैसों की बारिश करती है, लेकिन जहां वास्तविक विकास की जरूरत है, वहां झारखंड जैसे राज्य को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया जाता है।
हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं:
✔ झारखंड को उसका बकाया फंड तुरंत दिया जाए।
✔ विशेष राज्य और विशेष आर्थिक पैकेज का दर्जा मिले।
✔ शिक्षा और रोजगार के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किया जाए।
✔ झारखंड को मिनरल-बेस्ड अर्थव्यवस्था में बदला जाए।
✔ थर्मल पावर प्लांट्स और ऊर्जा क्षेत्र में विकास किया जाए।
अगर केंद्र सरकार झारखंड की उपेक्षा करना बंद नहीं करती, तो झारखंड की जनता भी उन्हें उसी भाषा में जवाब देगी।
ग्रामीण भारत की अनदेखी
इस बजट में ग्रामीण भारत को पूरी तरह से अनदेखा किया गया है। सरकार ने लोकलुभावन योजनाओं के बजाय वास्तविक जरूरतों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। किसानों, गरीबों और ग्रामीण जनता की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया है। अगर केंद्र सरकार ने ग्रामीण विकास पर ध्यान नहीं दिया, तो इसके दूरगामी नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं, और ग्रामीण जनता इसे कभी माफ नहीं करेगी।
ग्रामीण विकास के लिए बजटीय आवंटन में कमी
साथ ही, ग्रामीण विकास के लिए बजटीय आवंटन में 5.51% से घटाकर 5.21% कर दिया गया है, जो इस क्षेत्र के लिए सरकार की नीरस प्राथमिकता को और स्पष्ट करता है।