गोपाल शर्मा
झारखंड/ पाकुड़।
प्रोजेक्ट ‘गर्व’ के तत्वाधान में रविन्द्र भवन (टाउन हॉल), पाकुड़ में एटीएम, बीटीएम एवं कृषक मित्रों की जिला स्तरीय रबी कार्यशालाका आयोजन बड़े उत्साह के साथ किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ उपायुक्त मनीष कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला सहकारिता पदाधिकारी, जिला उद्यान पदाधिकारी तथा जिला पशुपालन पदाधिकारी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।

कार्यक्रम में जिले के विभिन्न प्रखंडों से आए कृषक मित्रों, कृषि विभाग के अधिकारियों एवं तकनीकी कर्मियों ने भाग लिया। कार्यशाला का उद्देश्य रबी मौसम की तैयारी, फसल विविधीकरण, मृदा परीक्षण, बीज एवं उर्वरक वितरण, फसल बीमा, क्लस्टर आधारित खेती और नवीन तकनीकों के माध्यम से कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित रहा।

उपायुक्त मनीष कुमार ने अपने संबोधन में कहा —
“इस बार शिक्षा की तरह कृषि क्षेत्र में भी पाकुड़ को शीर्ष स्थान प्राप्त करना है। जिला प्रशासन ने कृषि कार्यों को ‘ऑटो-पायलट मोड’ पर लाने की दिशा में ठोस एवं परिणामोन्मुख कार्य योजना तैयार की है।”
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसी भी प्रकार की गलत रिपोर्टिंग या आंकड़ों की हेराफेरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रत्येक कृषक मित्र को अपने क्षेत्र की वास्तविक स्थिति की जियो-टैग्ड रिपोर्ट और फोटो प्रमाण प्रतिदिन उपलब्ध करानी होगी।

उपायुक्त ने कृषक मित्रों को निर्देश दिया कि वे सॉइल हेल्थ कार्ड निर्माण, फसल क्षति आकलन, बीज एवं उर्वरक वितरण तथा क्लस्टर आधारित खेती पर त्वरित कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि प्रत्येक कृषक मित्र को इस माह कम से कम 20 मिट्टी के नमूने एकत्र कर परीक्षण हेतु भेजने का लक्ष्य दिया गया है।

साथ ही उपायुक्त ने मल्टीपरपज कोऑपरेटिव सेंटर (MPC) के गठन को प्राथमिकता देने तथा अधिक से अधिक किसानों को सदस्यता ग्रहण करने के लिए प्रेरित करने का निर्देश भी दिया। उन्होंने कहा कि जिले में मधुमक्खी पालन, सब्जी उत्पादन, टपक सिंचाई (Drip Irrigation) तथा ऑर्गेनिक फार्मिंग जैसे क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं।
“प्रत्येक कृषक मित्र अपने क्षेत्र में नवाचार और तकनीकी खेती को बढ़ावा दें। यह समय पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर वैज्ञानिक खेती अपनाने का है,” — उपायुक्त श्री मनीष कुमार ने कहा।
उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन नवंबर माह में विशेष सॉइल हेल्थ कार्ड परीक्षण अभियान, फसल क्षति मूल्यांकन, नए किसानों के केसीसी एनरोलमेंट तथा एमपीसी गठन ड्राइव चलाएगा ताकि रबी सीजन की सभी तैयारियां समय पर पूरी हो सकें।
अंत में उपायुक्त ने कहा —
“हमारा लक्ष्य है कि शिक्षा के साथ-साथ कृषि में भी पाकुड़ जिला पूरे राज्य में उदाहरण बने। किसानों की समृद्धि ही जिले की प्रगति की आधारशिला है।”
कार्यशाला में विभागीय विशेषज्ञों द्वारा रबी फसलों की वैज्ञानिक बुआई तकनीक, सिंचाई प्रबंधन, जैविक उर्वरक उपयोग एवं कृषि यंत्रीकरण पर भी विस्तृत जानकारी दी गई।
कार्यक्रम के अंत में किसानों को तकनीकी पुस्तिकाएं वितरित की गईं और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कृषक मित्रों को सम्मानित किया गया।

