मनरेगा बचाने के संघर्ष हेतु एक दिवसीय राष्ट्रिय धरना
कोरोना जैसी वैश्विक संकट कालीन विषम परिस्थिति में जब पूरे देश ने अकुशल मजदूरों को दुत्कारा तब गाँवों में मनरेगा ने उनको गले लगाया अर्थात उस वक्त मनरेगा एकमात्र ऐसी योजना थी जिसमें मजदूरों ने कमाया और अपने परिवारों का भरण – पोषण किया| आज देश के 25.11 करोड़ मजदूर सरकार प्रायोजित साजिशों की वजह से यह महत्त्वकांक्षी कानून निष्फल व शोषक श्रम बन गया है, जहां ईमानदारी से कड़ी मेहनत करने वाले श्रमिकों को अपनी मजदूरी के लिए अंतहीन इंतजार करना पड़ता है वहीं दूसरी तरफ नरेगा के कानूनी प्रावधानों का नियमित उल्लंघन किया जा रहा है और अधिनियम को इसकी भावना के विपरीत तरीके से लागू किया जा रहा है। असंगठित मजदूरों की जमीनी समस्याओं पर मजदूरों, उनके प्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्त्ताओं, ट्रेड यूनियनों के साथ विस्तृत संवाद कर केंद्र सरकार पर जन दबाव बनाया जाए। इस उद्देश्य से आगामी 28 सितम्बर 2024 को धरने का आयोजन किया जा रहा है|
धरने में झारखण्ड सहित बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं पश्चिम बंगाल के विभिन्न ज़िलों और संगठनों से सैकड़ों नरेगा एवं असंगठित मज़दूर भाग लेंगे और नरेगा को अक्षरशः लागू करने के लिए करवाई की मांग करेंगे। धरने की मांगो में काम की मांग को मौलिक अधिकार में शामिल करना, नरेगा का बजट आवंटन बढ़ाना, आधार और मोबाइल ऐप आधारित उपस्थिति प्रणाली जैसे मज़दूर विरोधी तकनीक का बहिष्कार, मनरेगा मज़दूरी दर प्रतिदिन 800 रुपये निर्धारित करना, पश्चिम बंगाल में पिछले 3 साल से नरेगा का काम बंद होने पर मज़दूरों के साथ अन्याय को बंद कर तुरंत फंड जारी करना जैसी मांग शामिल हैं| धरने में कई राष्ट्रीय नेता या कार्यकर्ता भी मौजूद रहेंगे जैसे धरने का पोस्टर सलंग्न है|
झारखण्ड के सभी साथी आईये नरेगा मज़दूरों के लिए अपनी आवाज़ उठाएं और बढ़ती महंगाई, तानाशाही और मज़दूर विरोधी तकनीकीकरण के ख़िलाफ़ इस धरने में शामिल हों
सभी मीडिया साथी आमंत्रित हैं |
धरना स्थल: राज भवन के समक्ष, रांची
समय व तिथि: सुबह 11 बजे से दोपहर के 3 बजे तक , 10 सितम्बर 2024
अधिक जानकारी के लिए जेम्स हेरेंज (9852910778) संयोजक, झारखंड नरेगा वाच या अशर्फी प्रसाद (7488609805) या अर्जुन (7012919362) परन (8296887106) से संपर्क करें