छात्राओं ने मोबाइल ऐप से सीखा मिट्टी नमूना संग्रहण का व्यावहारिक तरीका
गोपाल शर्मा
झारखंड/ साहिबगंज
प्रखंड बरहेट एवं पतना में School Soil Health Programme अंतर्गत पीएम श्री सीनियर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के सहयोग से एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों और शिक्षकों में मिट्टी की सेहत के प्रति जागरूकता बढ़ाना तथा वैज्ञानिक खेती की दिशा में उन्हें सक्षम बनाना था।

कार्यक्रम के दौरान उप परियोजना निदेशक (आत्मा) साहिबगंज मंटू कुमार ने मिट्टी में पाए जाने वाले आवश्यक पोषक तत्वों जैसे—ऑक्सीजन, कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैग्नीशियम, गंधक—तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे—लोहा, तांबा, जस्ता, मैंगनीज, बोरोन, मोलिब्डेनम और क्लोरीन—की महत्ता और उनकी भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला।

वहीं, सोइल हेल्थ प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर कंचन कुमार सुमन ने विद्यालयों के ऑनलाइन पंजीकरण, बैच निर्माण, शिक्षक को ग्रुप लीडर बनाने की प्रक्रिया तथा स्कूल सॉइल हेल्थ ऐप के माध्यम से मिट्टी नमूना संग्रह की कार्यविधि के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि डिजिटल तकनीक के प्रयोग से छात्राओं को आधुनिक कृषि पद्धतियों की समझ विकसित होगी।
प्रशिक्षण के दौरान छात्राओं ने फील्ड विजिट कर मोबाइल ऐप से मिट्टी नमूना संग्रहण की व्यावहारिक प्रक्रिया भी सीखी। इससे उन्हें न केवल सैद्धांतिक बल्कि व्यवहारिक ज्ञान भी प्राप्त हुआ।
इस मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र साहिबगंज के वैज्ञानिक डॉ. वीरेंद्र कुमार मेहता ने मिट्टी परीक्षण की आवश्यकता, उसके उद्देश्य तथा समय और स्थान का चयन करने की विधि समझाई। उन्होंने वैज्ञानिक तरीके से मिट्टी उठाव की लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई की भी जानकारी साझा की, जिससे सही नमूना प्राप्त किया जा सके।

इसके अलावा, सहायक तकनीकी प्रबंधक कुमार सत्यम (बरहेट) ने बच्चों को खेती-किसानी से जुड़ी कई व्यावहारिक जानकारियाँ दीं।
कार्यक्रम में प्रखंड तकनीकी प्रबंधक धर्मराज मंडल, पदमा मार्डी, शोभा कच्छप, प्रधानाध्यापिका ममता कुमारी, नोडल अनिल हेम्ब्रम, धीरज पंडित, सुप्रती साहा सहित विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाएँ, कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में बालिकाएँ उपस्थित रहीं।

इस प्रशिक्षण के माध्यम से विद्यार्थियों और शिक्षकों को मिट्टी स्वास्थ्य संरक्षण और वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों की गहन जानकारी मिली, जिससे भविष्य में वे कृषि क्षेत्र में नवीन प्रयोगों और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने में योगदान कर सकेंगे।

