ठाकुर गंगटी (गोड्डा)प्रखंड क्षेत्र के प्रचलित मोरडीहा, भगैया,माल मंडरो, बनियाडीह,चपरी,मिस्र गंगटी,ठाकुर गंगटी गांव के दुर्गा मंदिरों में शनिवार को दुर्गा माता के तीसरे रूप चंद्रघंटा की पाठ पूजा की गई।सभी गांव के मंदिरों में नवरात्र के सैकड़ों महिला,पुरुष,युवक, युवती बुजुर्ग उपासक मंदिर परिसर में शामिल हो रहे हैं।मोरडीहा गांव के दुर्गा मंदिर परिसर में सबसे अधिक नवरात्र के उपासकों,श्रद्धालुओं ने भाग लिया।शुरू से ही यहां ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के तमाम महिला,पुरुष,युवक, युवती,बुजुर्ग उपासक चंडी पाठ पूजा के समय मंदिर के बरामदे पर बैठकर नियमित कथा सुनते हैं।आरती में भी भाग लेते हैं और चरना अमृत रूपी महाप्रसाद प्राप्त कर अपने घर की ओर जाते हैं।फिर संध्या पूजा आरती में भी सभी श्रद्धालु भाग लेते हैं। मंदिर के कुल पुरोहित आचार्य पंडित पंकज कुमार झा नियमानुसार चंडी पाठ सुनते हैं, नियमित पुजारी महेश मंडल,हेमंत ठाकुर, मोती पंडित,बिलास यादव, ब्यासमुनी साह,योगेंद्र पंडित,अर्जुन साह आदि सहयोग करते हैं।श्रद्धालुओं से आरती गायन भी करवाते हैं।इस प्रकार चंडी पाठ,आरती भजन आदि से12 दिनों तक माहौल भक्तिमय बना रहता है।प्रथम पूजा के एक दिन पहले महालया की तिथि के अवसर से ही ढोल,बाजे पर भजन,कीर्तन सहित अन्य धार्मिक कार्यक्रम शुरू हो जाता है।और11 वीं तिथि के बाद प्रतिमा विसर्जित की जाती है।यज्ञ शांति पूजा और सामूहिक भंडारा के बाद ही श्रद्धालु धीरे-धीरे अपने-अपने कार्यों में लगते हैं।गांव के जितने भी लोग बाहर रहते हैं चाहे वह जिस भी कार्यों में हो इस दुर्गा पूजा के अवसर पर निश्चित रूप से गांव में उपस्थित होते हैं। भक्ति ,भावना, आस्था,विश्वास, हर्षोल्लास के साथ तन, मन,धन से सहयोग भी करते हैं और गांव के मान सम्मान सुरक्षा के लिए हमेशा तैनात रहते हैं।इस गांव की अपने आप में यह एक बहुत बड़ी रीति रिवाज और और पाचन है।संध्या के समय गांव की महिलाएं और युवतियां देवी गीत गाती हैं।पुरुष और नवयुवक लोग ढोलक झाल मृदंग, करताल, हारमोनियम,बैंजो,बांसुरी आदि बजाकर भक्ति भजन करते हुए झूम उठते हैं।फिर रात्रि 8:00 बजे के बाद बगल के धार्मिक मंच पर पूजा के अनुसार उसके महत्व को प्रोजेक्टर के माध्यम से पर्दे पर दिखाया जाता है।इसमें भी हजारों श्रद्धालु उपस्थित होते हैं।भगैया,माल मंडरो में विगत वर्षों की तरह भव्य पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है।बनियाडीह और चपरी में संध्या के समय विस्तार से कीर्तन,भजन किया जाता है।मिस्र गंगटी, ठाकुर गंगटी में विगत वर्षों की तरह प्रचलित विद्वानों द्वारा चंडी पाठ और देवी भागवत पाठ कराया जा रहा है।सभी गांव के दुर्गा मंदिर परिसर में प्रथम पूजा से ही धीरे-धीरे मेल लगनी शुरू हो गई है मंदिर परिसर में लगे मेले में फल,फूल,मिष्ठान, चुन्दरी,माला आदि पूजन सामग्री अलावे चाय, पान,मिष्ठान,जलपान,मनिहारा, खिलौना आदि का भी दुकान सज गया है।बच्चे और श्रद्धालु धीरे-धीरे मेले का लुत्फ उठा रहे हैं।सभी प्रकार के कार्यों में जयकांत यादव अनुज्ञप्तिधारी अध्यक्ष,मुखिया प्रतिनिधि निक्कू झा,पंचायत समिति सदस्या प्रतिनिधि साहिल अंसारी, सेवानिवृत शिक्षक सुबोध चौधरी,राजेंद्र प्रसाद वर्मा,पूर्व मुखिया मिथलेश साह,राजकुमार चौधरी,पूर्व पंचायत समिति सदस्य गनौरी साह,सुरेंद्र कुमार चौधरी,अरविंद पासवान, शिक्षक राजाराम कापरी,शिक्षक रामचंद्र प्रसाद को उपाध्यक्ष।राजकुमार पासवान, प्रीतम यादव,अमरेंद्र कुमार आजाद,सिंटू कुमार साह,ज्योतिष कुमार साह,राजीव कुमार साह को सचिव।उप मुखिया मिथलेश साह, फूलचंद कुमार, मुकेश साह,चंद्रशेखर साह, प्रवीण कुमार साह,रवि पासवानअजय कुमार साह,अमरनाथ साह,बिपिन जायसवाल को संयुक्त सचिव। पूर्णानंद पंडित,बालेंदु शेखर,अमरेंद्र कुमार आजाद,श्रवन कुमार साह को कोषाध्यक्ष के रूप में चयनित किया गया है।सहदेव वर्मा, ब्रह्मदेव साह,अनिल ठाकुर,घोघा पंडित, राजेश चौधरी,नीतीश यादव,मुकेश पासवान, धर्मेंद्र पासवान,रोशन कुमार साह,फूलचंद रविदास,सुमित कुमार वर्मा,सुमित पासवान, अजय यादव,सोनू कुमार पोद्दार सहित पंचायत क्षेत्र युवाओं बुजुर्गों, महिलाओं सहित नौ दर्जन स्वयंसेवक भी बहाल किया जा रहा है। दुर्गा मंदिर परिसर,मेला परिसर के साथ-साथ गांव के सभी चौक चौराहा,सभी मार्गों, करीब छह किलोमीटर की चौहद्दी में बारीकी से साफ सफाई किया गया है।देखरेख,कार्यालय प्रभारी,भोजन प्रभारी, बाजा टेंट प्रभारी,साफ सफाई,सुरक्षा,पेयजल, प्रसाद वितरण, सांस्कृतिक कार्यक्रम, आदिवासी मेला,
मनिहरा,सुरक्षा,पुरस्कार वितरण सहित विभिन्न प्रकार का विभागों का बंटवारा कर सभी विभागों का प्रभारी और सहयोगी सदस्य भी नियुक्त किया गया है।मंदिर परिसर में सी सी टी वी कैमरा भी लगाया गया है। महिला,युवक सहित सौ से अधिक स्वयंसेवक भी नियुक्त किया गया है।
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गंगटी,ठाकुर गंगटी गांव के दुर्गा मंदिरों में शनिवार को दुर्गा माता के तीसरे रूप चंद्रघंटा की पाठ पूजा की गई
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