बिहार ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव सह प्रबंध निदेशक BSPHCL संजीव हंस एवं उनके विशेष कार्य पदाधिकारी ओएसडी (OSD) विनोद कुमार के कार्यालय विद्युत भवन एवं बोर्ड कॉलोनी आवास सहित उनके कई अन्य ठिकानों पर केंद्रीय इकाई (ED )सुबह 7:00 बजे से लगातार छापे मार रही है प्रधान सचिव संजीव हंस पहले भी अपने व्यक्तिगत मामलों में लेकर कई बार सुर्खियों में बने रहे हैं जब से वह ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव बने तब से लेकर अभी तक विद्युत भवन भ्रष्टाचारिर्यों का अड्डा बना हुआ है हर किसी काम को करवाने के लिए एक रेट चार्ट (मूल तालिका )बनी हुई है जैसे प्रमोशन का रेट अलग है ट्रांसफर पोस्टिंग का रेट अलग है एवं कंपनी से दूसरे कंपनी में ट्रांसफर करवाना है उसका रेट अलग है यानी कि बिना पैसा लिए ट्रांसफर पोस्टिंग नामुमकिन है मिलने के बाद सिर्फ आश्वासन मिलेगा इन सभी कामों की देख रेख विनोद कुमार ( OSD) करते हैं श्री बिनोद कुमार एक पदाधिकारी हैं लेकिन शरीर के कई अंगों पर टैटू बने हुए हैं जिससे वह साफ पता चलता है कि वे प्लेबॉय लगते हैं किसी भी तरह से वे सामान पदाधिकारी नहीं लगते हैं पूरे बिहार में अपने गुर्गे रखे हुए हैं जो लेनदेन ट्रांसफर पोस्टिंग का काम करवाते रहते हैं बिहार के सभी जिलों से ट्रांसफर पोस्टिंग का काम अंदर ही अंदर करवाते रहते हैं अपने सभी दलालों के द्वारा मोटी रकम लेकर ट्रांसफर पोस्टिंग का काम आसानी से अंदर ही अंदर करवाते रहते हैं और मनमानी पैसे वसूलते हैं कई लोगों का यह भी पैसा लेते है और काम को ताखे पे रख देते है प्रोजेक्ट कार्य हेतु किसी कंपनी को कौन सा टेंडर देना है किस कम्पनी का मीटर खरीदना है और भी कई कार्य विभागीय होते है जिसमे की करोड़ो का खेला होता है मुख्यालय विद्युत भवन में कई लोग ऐसे है जो साहब कि मेहरबानी से आज तक पटना से बाहर ट्रांसफर होके नहीं गए है कई लोग एक दशक से एक ही जगह अपने पद पर बने हुए है SBPDCL के GM रेवेन्यू अरविन्द कुमार करीब एक दशक से भी अधिक समय से अपने पद पर बने हुए है जबकि वो अकॉउंट सेक्शन से आते है इनपर साहब की विशेष मेहरबानी बनी हुई है इनका न तो ट्रांसफर होता है और न ही इनका प्रमोशन होता है चर्चा तो ये भी है की अरविन्द कुमार पटना A.N कॉलेज के पास में करोड़ो रुपये की जमीन खरीद कर करोड़ो की लागत से से एक आलिशान घर का निर्माण करवा रहे है और इतना ही नहीं देश के कई राज्यों में इनका जमीन में इनके द्वारा जमीन खरीदी गईं है ऐसे पदाधिकारी पर पता नहीं कब तक आर्थिक अपराध इकाई( ED )और निगरानी की नजर पड़ेगी आय से अधिक सम्पति में इन भ्रस्ट पदाधिकायों पर भी जाँच होनी चाहिए.

