भाजपा अयोध्या यूं ही नहीं हारी
जिस अयोध्या के राम मंदिर निर्माण के बल पर भाजपा तीसरी बार सत्ता में पूर्ण बहुमत से आने का सपना संजोए बैठी थी उसी अयोध्या ने पिछले दिनों मानसून पूर्व की केवल एक दिन की बारिश में यह बता दिया कि किस तरह मंदिर निर्माण व अयोध्या के विकास के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल खेला गया है। गत दस वर्षों से सत्ता की गोद में बैठा मीडिया अयोध्या के विकास की इकतरफ़ा गाथा गाने में व्यस्त था। चारों शंकराचार्य सहित और भी कई बड़े बड़े संत महात्मा पुरज़ोर तरीक़े से यह आवाज़ उठा रहे थे कि चूँकि मंदिर निर्माण अभी अधूरा है लिहाज़ा अपूर्ण मंदिर भवन में विशेषकर आधे अधूरे मंदिर शिखर के नीचे राम लला की नई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करना शास्त्रसम्मत नहीं है। परन्तु राजनीति के स्वयंभू चाणक्यों ने किसी संत महात्मा की बात पर ध्यान नहीं दिया। और केवल लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का ग्रांड शो रच डाला। और उसी स्वयंभू दूरगामी चाणक्य नीति ने यह नारा दे दिया कि जो राम को लाये हैं हम उनको लायेंगे। केवल इतना ही नहीं बल्कि अपने विरोधियों को गोदी मीडिया के माध्यम से हिन्दू विरोधी,राम विरोधी व सनातन विरोधी प्रचारित करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी।
गोदी मीडिया ने भले ही राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता के पक्ष में माहौल बनाने में एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया परन्तु उत्तर प्रदेश के लोग विशेषकर अयोध्यावासी व स्थानीय समग्र साधु संत समाज अपूर्ण मंदिर भवन में निर्मित आधे अधूरे मंदिर शिखर की सच्चाई से भी वाक़िफ़ था और अयोध्या के विकास के नाम पर पूरे शहर की सड़कों नालों नालियों,सीवरेज प्रणाली के निर्माण में जम कर की गयी लूट खसोट से भी परिचित था। आख़िर कार राम मंदिर के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने स्वयं ही मंदिर निर्माण कार्य में लापरवाही का आरोप लगाते हुये यह दावा किया कि यह दूसरी बार है जबकि राम मंदिर की छत से पानी टपक रहा है। पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के अनुसार पहली बारिश में भी मंदिर की छत से पानी का रिसाव हुआ था। उस समय भी उन्होंने विरोध किया था। आचार्य दास ने सवाल किया है कि जब राम लला के विराट दिव्य मंदिर के निर्माण में देश के सुप्रसिद्ध इंजीनियर लगे हैं, उसके बावजूद मंदिर की छत से पानी का टपकना आश्चर्यजनक है। जो मंदिर बन गए हैं और जहां रामलला विराजमान हैं, वहां पहली ही बारिश में पानी टपकने लगा। मंदिर के अंदर भी बरसात का पानी भर गया था। राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट को इस बात का भी ध्यान देना चाहिए कि बने मंदिरों से क्यों पानी टपक रहा है?
पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के आरोपों के बाद राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र को यह सफ़ाई देनी पड़ी कि ‘मैंने ख़ुद मंदिर की पहली मंज़िल से बारिश का पानी टपकते हुए देखा है। इसके पीछे वजह यह है कि अभी मंदिर की दूसरी मंज़िल पर निर्माण कार्य चल रहा है, जिससे इसकी छत पूरी तरह खुली है। इसलिए वहां पानी भर गया और छत से नीचे भी टपका। इस तरह खुले फ़र्श पर पानी टपक सकता है। लेकिन अगले महीने के अंत तक दूसरी मंज़िल की छत बंद हो जाएगी, फिर यह समस्या नहीं होगी। ’ नृपेंद्र मिश्र के बयान से ही यह साफ़ है कि मंदिर 22 जनवरी को भी अधूरा था और आज भी अधूरा है लिहाज़ा क्या वजह है कि उस समय शंकराचार्यों व संतों की बात नहीं मानी गयी ? और आधे अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करा दी गयी ? लिहाज़ा यदि 22 जनवरी को आयोजित प्राण प्रतिष्ठा पूर्णतः राजनैतिक नहीं थी तो और क्या थी ? ख़बर है कि मंदिर के मुख्य शिखर को प्लास्टिक,कपड़ों व बांस बल्लियों से बनाकर तैयार किया गया था।
मानसून की शुरूआती बारिश में केवल अयोध्या राम मंदिर की छत से ही पानी नहीं टपका बल्कि लगभग पूरी अयोध्या त्राहि त्राहि करने लगी। एक दिन की बारिश में ही राम पथ पर सआदतगंज से लेकर लता चौक तक कम से कम 20 जगहों पर सड़कों में गड्ढे पड़ गये। कई जगह सड़कें धंस गईं। नाले व नालियां जाम हो गये। जबकि हाई टेक अयोध्या के निर्माण का दावा किया जा रहा था ? प्राप्त सूचनाओं के अनुसार सड़क धंसने वाली कुछ जगहों पर कुछ दिन पहले ही अमृत योजना के तहत सीवर पाइप लाइन बिछाने के लिए गड्ढा खोदा गया था। सीवर लाइन बिछाने का काम पूरा होने के बाद सिर्फ़ गिट्टी डालकर सड़क को अस्थायी रूप से पाट दिया गया। उसकी ठीक ढंग से मरम्मत नहीं कराई गई। इसी का नतीजा रहा कि बारिश में यहां पर सड़क धंस गई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि काम मानक के अनुरूप नहीं किया गया जिसके कारण सड़क धंस गयी। इसी तरह राम मंदिर के बिल्कुल क़रीब रेलवे स्टेशन मार्ग पर कॉलोनी जलवानपुरा में जलभराव हो गया जिसके चलते लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया। अयोध्या नगर की दर्जनों दुकानों और मकान में बरसात का पानी घुसने से लोग परेशान हुये।
अयोध्या व उत्तर प्रदेश के सुदूर राज्यों में बैठे लोग गोदी मीडिया द्वारा परोसी गयी हाई टेक अयोध्या व मंदिर निर्माण व प्राण प्रतिष्ठा समारोह व इसमें शामिल विशिष्ट व अतिविशिष्ट लोगों की भीड़ को चाहे जिस नज़रिये से देख रहे हों परन्तु हक़ीक़त में अयोध्या वासी बहुत क़रीब से न केवल इस ढोल में छिपे पोल को देख रहे थे बल्कि इसी प्रचारित हाई टेक अयोध्या के निर्माण व विकास के नाम पर उजाड़े गये अपने घरों की तबाही व अपने तबाह हुये व्यवसायों के भी भुक्तभोगी थे। वे यह भी देख रहे थे कि किस तरह सत्ता संरक्षण में बाहरी कंपनियों व ठेकेदारों द्वारा भगवान राम के नाम पर लूट मचाई जा रही है। यही वजह थी की विपक्षियों के बारे में सत्ता व मीडिया द्वारा तमाम दुष्प्रचार करने के बावजूद अयोध्यावासियों ने जो राम को लाये हैं हम उनको लाएंगे जैसे नारे को फ़र्ज़ी समझते हुये भाजपा के प्रत्याशी को अप्रत्याशित रूप से हरा दिया और उस समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को विजयी बनाया जिसके बारे में गोदी मीडिया सत्ता के हवाले से यह दुष्प्रचार कर रहा था कि यदि यह जीते तो राम मंदिर पर बुलडोज़र चलवादेंगे। दरअसल अयोध्या व उत्तर प्रदेश की जनता ने भाजपा के झूठ भ्रष्टाचार व पाखंड को भली हन्ति पहचान लिया था। भाजपा अयोध्या यूँ ही नहीं हारी है।
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