धनबाद से नव निर्वाचित सांसद ढुल्लू महतो को बंपर जीत मिली है. सभी विधानसभा क्षेत्र में उन्हें वोट भी प्रतिद्वंदी से अधिक मिले है. मतलब साफ है कि भाजपा के प्रदेश प्रभारी और संगठन महामंत्री के प्रयास काम आए और इस वजह से सभी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को बढ़त मिली. भाजपा को भितरघात का खतरा था. वजह थी कि तीन बार के सांसद रहे पशुपतिनाथ सिंह का टिकट काटकर बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो को टिकट दिया गया था. इससे लोगों में नाराजगी भी थी, लेकिन चुनाव परिणाम पर इसका कोई असर नहीं दिखा. सिंदरी विधानसभा में 41,000, बोकारो में 85,000, धनबाद में 61,000, झरिया में 37,000, चंदन कियारी में 56, 000, निरसा विधानसभा में 68, 000 से कुछ अधिक लीड मिली है. यह लीड यह बताने को काफी है कि प्रदेश प्रभारी और प्रदेश नेताओं के दौरे ने बड़ा काम किया और भितरघात की संभावना को उन लोगों ने न्यूनतम करने में सफलता हासिल की. वैसे जीत के बाद नवनिर्वाचित सांसद ढुल्लू महतो ने कहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान जाने -अनजाने में मेरे किसी बयान से किसी की भावना आहत हुई हो, तो इसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं, सभी के प्रति दिल से आभार करता हू , सभी से आग्रह है कि धनबाद लोकसभा क्षेत्र के विकास को एकजुट होकर सहयोग और समर्थन करे.
झरिया से भाजपा को मिली है 37,000 की लीड
इधर , झरिया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की विधायक रहते हुए भाजपा ने 37,000 की लीड ली है. यह लीड कांग्रेस विधायक के लिए सवाल बन सकता है. क्योंकि झारखंड में विधानसभा चुनाव में भी बहुत अधिक विलंब नहीं है. इसी साल के अंत में झारखंड विधानसभा के चुनाव होंगे. यह चुनाव झारखंड की दशा और दिशा के लिए काफी महत्वपूर्ण होंगे. वैसे तो लोकसभा के पांच आदिवासी सीटों पर इंडिया गठबंधन ने जीत दर्ज की है और यह बता दिया है कि विधानसभा चुनाव भी कम रोचक और दिलचस्प नहीं होगा. झारखंड में आदिवासी सीटों की ही लड़ाई है. 2019 के चुनाव में भी आदिवासी सीटों पर भाजपा मात खा गई थी और नतीजा हुआ था कि भाजपा को बहुमत नहीं मिला. प्रदेश में गठबंधन की सरकार झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई में बनी. विधानसभा चुनाव होने तक पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जेल में ही रहेंगे अथवा बाहर आएंगे, यह कहना तो अभी कठिन है. लेकिन झारखंड में विधानसभा चुनाव की लड़ाई जोरदार होगी, इसमें कोई संदेह नहीं है.
कल्पना सोरेन ने सही ढंग से संभाला मोर्चा
यह अलग बात है कि हेमंत सोरेन के जेल में रहने के बावजूद चुनाव प्रचार पर कोई असर नहीं पड़ा. उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने मोर्चा संभाला और अपने अभियान में पूरी तरह से सफल रही. इस बीच उन्होंने गांडेय विधानसभा का उपचुनाव भी जीत लिया. झारखंड विधानसभा का चुनाव नवंबर या दिसंबर 2024 में हो सकता है. विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को समाप्त होगा. पिछला चुनाव सितंबर 2019 में हुआ था. उस समय झारखंड में भाजपा की सरकार थी. लेकिन गठबंधन ने बहुमत पाया और भाजपा की सरकार अपदस्त हो गई. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 30 सीटें जीती, कांग्रेस को 16 सीटें मिली. राजद को एक मिली, भाजपा को 25 और जेबीएम को तीन सीटें मिली थी. जेवीएम का नेतृत्व बाबूलाल मरांडी कर रहे थे, जो फिलहाल भाजपा में आ गए हैं और भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष उन्हें बनाया गया है. उनके विधायक भी इधर -उधर हो लिए.