गोड्डा
राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन गोड्डा के तत्वावधान में विश्व ग्लूकोमा दिवस के उपलक्ष्य पर स्थानीय महिला आरोग्य समिति वार्ड नंबर 01 में समीक्षा बैठक सह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसका थीम है ” ग्लूकोमा मुक्त विश्व के लिए एक जुट होना” उक्त कार्यक्रम के दौरान एएनएम अलबिना सोरेन ने कहा कि ग्लूकोमा आंखों से जुड़ी एक बीमारी है। आम बोलचाल की भाषा में इसे काला मोतिया भी कहा जाता है। यह बीमारी मनुष्य के ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाती है। ऑप्टिक तंत्रिका के जरिए ही आंखों से देखी गई चीज हमारे मस्तिष्क तक पहुंचती है। जिसके चलते हम किसी भी चीज को पहचान पाते हैं। ऐसे में ऑप्टिक तंत्रिका के क्षतिग्रस्त होने से मनुष्य अंधेपन का शिकार हो सकता है।
ग्लूकोमा होने के कारण यह है कि आमतौर पर आंख के अंदर पड़ने वाले सामान्य दबाव के चलते ग्लूकोमा होता है। इसके अलावा ग्लूकोमा होने के कारण है। जैसे आंख के अंदर ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ के जमा होने से, आंखों से पानी निकालने वाली नली के बाधित होने से, आनुवंशिक कारणों से, दवाईयों के बुरे असर से या उच्च रक्तचाप व डायबिटीज भी ग्लूकोमा के कारणों में से एक है। जिस व्यक्ति को ग्लूकोमा की बीमारी हो जाती है, उसकी आंखो की दृष्टि कम होने लगती है। उसे धुंधला दिखाई देता है। आंखे लाल हो जाती है और लगातार सिरदर्द होता रहता है। इसके अलावा आंखों में तेज दर्द, जी मिचलाना और उल्टी भी इसके प्रमुख लक्षणों में से एक हैं।
यह बीमारी धीरे-धीरे हमारी आंखों को नुकसान पहुंचाती है। ऐसे में हम जितना जल्दी इसका इलाज करेंगे, उतना आंखों को नुकसान होने से बचाया जा सकता है। इसके लिए हमें लगातार आंखों की जांच कराते रहना चाहिए। अपने आंखों को किसी भी तरह के नुकसान से बचाएं। वहीं ग्लूकोमा बीमारी होने से डॉक्टर से इलाज करवाएं।
इस मौके पर बीटीटी प्रह्लाद कुमार, महिला आरोग्य समिति से सदस्य एवं साहिया ,आरती कुमारी एवं वार्ड वासियों के द्वारा बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया गया।